गीता फोगाट पर बनी थी ‘दंगल’ मूवी, ग्लूकोज पीने वाली रैसलर दिव्या से हारी

punjabkesari.in Monday, Apr 02, 2018 - 03:45 PM (IST)

जालन्धर : मंजिल प्राप्त करने वक्त यह नहीं देखा जाता कि सफर कितना लंबा था। बल्कि यह देखा जाता है कि विजेता खिलाड़ी में जुनून कितना था। आज हम एक ऐसे ही खिलाड़ी की स्टोरी आपको बताएंगे जिसने सीमित साधनों के बावजूद मंजिल पाई। हम बात कर रहे हैं- दिव्या सेन काकरन की। 

सीनियर एशिया चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल ला चुकी नई दिल्ली की दिव्या बीते दिनों कुश्ती की नैशनल चैंपियनशिप के दौरान चर्चा में आई थी। दरअसल कुश्ती के 68 किलोग्राम वर्ग में जीतने वाली खिलाड़ी को कॉमनवेल्थ गेम्स में एंट्री मिलनी थी। ऐसे में फाइनल में दिव्या का मुकाबला होना था गीता फोगाट से। गीता फोगाट वहीं रैसलर हैं जिनपर आमिर खान स्टारर फिल्म दंगल बनी है। मुकाबले में दिव्या ने आसानी से जीत दर्ज कर कुश्ती के चाहने वालों को हैरान कर दिया।
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दिव्या के लिए कॉमनवेल्थ की राह इतनी आसान नहीं थी। कुश्ती में वह अपने बड़े भाई देव सेन को देखकर आई। देव अक्सर कुश्ती लडऩे जाते थे। उनको देख दिव्या भी घर पर प्रैक्टिस करने लगी। फिर एक दिन अचानक दिव्या तब चर्चा में आ गई जब एक लोकल दंगल में उन्होंने एक लड़के को हरा दिया। दिव्या के पिता गांव-गांव में लंगोट बेचकर घर चलाते थे। ऐसे में घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।

दिव्या अपने संघर्ष को याद करते हुए बताती हैं कि जैसे कि हिंदुस्तान के हर खिलाड़ी के साथ होता है। पेशेवर बनने के रास्ते में हमेशा एक मुश्किल खड़ी रहती है। और वो मुश्किल हैं अच्छी डाइट का न मिलना। मैंने भी ऐसी स्थितियां झेली हैं। दूध-घी हमारे घर भी कम ही होता था। मैं एनर्जी के लिए ग्लूकोज पीना शुरू कर दिया। अखाड़े में घंटों प्रैक्टिस की। तब जाकर मेरी मेहनत सफल हो पाई।
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दिव्या ही नहीं। हमारे देश में ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो बेहद मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद मेहनत करना नहीं भूले। इसी मेहनत का प्रणाम ही है कि एक दिन मंच पर खड़े भारतीय खिलाडिय़ों के लिए पूरी दुनिया तालियां बजाती हैं। यह तालियां ऐसी ही आगे बजती रहीं, दिव्या सेन से हम कॉमनवेल्थ में उम्मीद कर सकते हैं।


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