शतरंज ओलिम्पियाड में 8 महीने के गर्भ के साथ खेली थीं Harika Dronavalli, जीता ब्रॉन्ज
punjabkesari.in Wednesday, Aug 24, 2022 - 02:53 PM (IST)

यह पदक मेरे बेबी का पहला गिफ्ट होगा : हरिका द्रोणावल्ली
ओलिम्पियाड में रहीं 8 मैच खेलकर रहीं अपराजित, ब्रॉन्ज जीता
पंजाब केसरी को दी विशेष इंटरव्यू- बताया आखिर कैसी की तैयारी
खेल डैस्क, (निकलेश जैन) : देश में पहली बार हुए शतरंज ओलिम्पियाड के महिला इवैंट में भारत कांस्य पदक जीतने में सफल रहा। महिला टीम इवैंट में हंपी, हरिका, वैशाली, सचदेव और कुलकर्णी उतरी थीं जिन्होंने 2486 की रेटिंग के साथ यह मैडल जीता। खास बात यह है कि प्रतियोगिता के दौरान भारतीय प्लेयर हरिका द्रोणावल्ली 8 माह गर्भ से थीं। वह इसी स्थिति में ओलिम्पियाड खेलने उतरी और 8 मुकाबले अपराजित रहते हुए ड्रा खेले। देश को पहला पदक दिलाने के बाद हरिका ने कहा- यह उनके आने वाले बेबी के लिए पहला गिफ्ट होगा। शतरंज स्टार ने इस दौरान अपने करियर, संघर्ष पर पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत की।
♟️🇮🇳 HISTORY MADE! Congratulations to India A on winning the first-ever medal for the country in the women's category at the Chess Olympiad ⚡
— The Bharat Army (@thebharatarmy) August 9, 2022
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ओलिम्पियाड में पहली बार पदक जीतने पर कैसा लग रहा है?
- अच्छा लग रहा है लेकिन थोड़ी निराशा भी है- गोल्ड नहीं मिला। पर मैं इस बात को लेकर संतुष्ट हूं कि हमें हमारा पहला ओलिम्पियाड मैडल मिला। कभी न कभी तो शुरुआत होनी थी। हम स्वर्ण के करीब थे फिर देखती हूं कि कई ओलिम्पियाड खेलने के बाद यह पहला पदक आया है तो इसे एक अच्छी शुरुआत मानती हूं। उम्मीद है महिला टीम के लिए भविष्य और बेहतर होगा।
आप जल्द ही मां बनने वाली हैं, आपने यह निर्णय कब लिया कि आप ओलिम्पियाड खेलेंगी?
-जब मुझे भारत में शतरंज ओलिम्पियाड होने का पता चला तो मेरी पहली प्रतिक्रिया यही थी कि इसमें नहीं खेल पाऊंगी। मैं सोच रही थी कि डिलिवरी के बाद एशियन गेम्स में हिस्सा ले पाऊंगी या नहीं। इस दौरान मेरी डॉक्टर से बात हुई। उन्होंने कहा- बेबी के जन्म के बाद तुरंत खेलने की बजाय अभी खेलना बेहतर होगा। डॉक्टर की राय लेकर मैंने निर्णय लिया कि ओलिम्पियाड देश में ही है तो यहां इंतजाम करना आसान रहेगा। इसलिए पिछले 3 माह से मैं मानसिक तौर पर खेलने के लिए खुद को तैयार कर रही थी। पति कार्तिक, माता-पिता का भरपूर सहयोग रहा। पति तो पूरे ओलिम्पियाड मेरे साथ ही रहे।
ओलिम्पियाड के लिए खुद को प्रेरित कैसे किया?
- मैं पहली बार जीवन के इस पड़ाव से गुजर रही थी जिसका मेरे पास कोई अनुभव नहीं था। मैं खुद को प्रेरित करने के लिए खिलाडिय़ों के बारे में पढ़ रही थी कि कैसे गर्भवती रहते हुए उन्होंने शारीरिक खेलों में भाग लेकर मैडल जीते। टैनिस प्लेयर सेरेना विलियमस जैसी कईं महिला खिलाडिय़ों के बारे में पढ़कर मुझे आत्मविश्वास मिला।
गेम की चुनौती आपने कैसे पूरी की?
-आमतौर पर मैं बैठकर ध्यानमग्न होकर मैच खेलती हूं। पर इस बार मैंने इसमें बदलाव किए। क्योंकि मैं ज्यादा देर तक बैठ नहीं सकती थी इसलिए रक्त प्रवाह को बनाए रखने के लिए अपनी चाल चलकर टूर्नामैंट हाल में घूमती रहती थी। इस दौरान विरोधी अपनी चाल के बारे में सोच रहा होता था। टूर्नामैंट शुरू होते ही काफी दिक्कत आई। बार-बार उठना-बैठना होता था। इसमें वक्त जाता था। फिर फोक्स करना। चाल के बारे में सोचना होता था। बस कोशिश की कि खुद को हर मुकाबले से पहले शारीरिक और मानसिक तौर पर तरोताजा रखूं।
भारत में ओलिम्पियाड खेलने को अनुभव कैसा रहा?
-भारत में शतरंज ओलिम्पियाड बहुत यादगार रहा। यह मेरे द्वारा देखे गए सबसे बेहतरीन ओलिम्पियाड में से एक था। मुझे खुशी है कि अपने घर में खेलकर हमें पदक मिला। दर्शकों का खूब प्यार भी मिला।
मैडल लेते वक्त मन में क्या चल रहा था?
-इंटरनैशनल स्पर्धाओं में वैसे तो मैंने कई पदक जीते है पर इस बार गर्भवती होने के चलते यह थोड़ा भावुक क्षण था। पिछले 4 माह के दौरान दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था। टूर्नामैंट कैसा रहेगा। पूरा खेल पाऊंगी जैसे सवाल मन में चलते थे। जब मैडल मिलने का समय आया और मैं स्टेज पर गई तो लगा कि शायद मैं इसीके लिए इतने महीनों से मेहनत कर रही थी। यह मेरा और मेरे बच्चे दोनों का पदक है। या यूं कहें कि यह मेरे बेबी का पहला गिफ्ट है। पूरे टूर्नामैंट में मैं इसी बात को लेकर आशंकित थी कि लेबर पेन के कारण अस्पताल न जाना पड़े। मुझे खुशी थी कि मैं यह कर पाई इसलिए यह लम्हा बेहद भावुक हो गया।
महिला शतरंज का देश में भविष्य कैसा देखती हैं आप?
-बहुत अच्छा। पहले से तो बहुत अच्छा है। इसमें सुधार किया जा सकता है। पुरुष वर्ग में निश्चित तौर पर बहुत खिलाड़ी है पर महिलाओं की संख्या में पहले की तुलना में सुधार हो रहा है। अगर भारत में बड़े टूर्नामैंट होते रहे तो यह स्थिति और बेहतर होती जाएगी।
महिलाओं के लिए कोई खास सलाह?
-मुझे लगता है- मैं खिलाड़ी हूं इसलिए मुझ पर सबकी नजर चली जाती है पर देखा जाए तो भारत में हजारों-लाखों महिलाएं है जो हर रोज ऐसी स्थिति में छोटे-बड़े काम करती हैं। मेरे घर का ध्यान रखने वाली महिला ने गर्भावस्था में काम करते हुए अपने बच्चे को जन्म दिया था। हमारे देश में मजबूत महिलाएं हर ओर हैं जो अगर चाह लें तो कुछ भी कर सकती हैं। बस हम उनकी कहानी नहीं जानते हैं।