भगवद गीता से मिला सबक, ईशान किशन ने करियर को फिर से किया जिंदा

punjabkesari.in Friday, Dec 19, 2025 - 07:35 PM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क : ईशान किशन के लिए बीते कुछ महीने आसान नहीं रहे। भारतीय टीम से बाहर होना, सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट गंवाना और फॉर्म को लेकर उठते सवाल उनके करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर रहे। लेकिन सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में झारखंड को पहला खिताब जिताकर इस विकेटकीपर-बल्लेबाज ने जोरदार वापसी की है। इस शानदार प्रदर्शन के पीछे सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती और आध्यात्मिक संतुलन भी रहा, जिसका श्रेय उनके पिता भगवद गीता से मिली सीख को देते हैं।

मुश्किल दौर से गुजरते किशन 

2024 की शुरुआत ईशान किशन के लिए निराशाजनक रही। टीम इंडिया से बाहर होने और सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद उनका भविष्य अनिश्चित नजर आने लगा था। लगातार आलोचना और चयन को लेकर असमंजस ने मानसिक दबाव बढ़ा दिया। चोटों और छूटे मौकों ने इस दौर को और कठिन बना दिया, जिससे किशन अंदर ही अंदर संघर्ष कर रहे थे।

गीता से मिला मानसिक सुकून

ईशान के पिता प्रणव पांडे के अनुसार, इसी कठिन समय में भगवद गीता किशन के जीवन में अहम सहारा बनी। उनकी मां ने उन्हें गीता पढ़ने की सलाह दी, ताकि वह मानसिक तनाव से बाहर निकल सकें। पांडे ने बताया कि गीता पढ़ने से किशन को अपने सवालों के जवाब मिलने लगे और उन्होंने परिस्थितियों को स्वीकार करना सीख लिया। धीरे-धीरे यह अभ्यास उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया।

किट बैग में हमेशा रहती है गीता

जो सलाह शुरुआत में एक प्रयोग थी, वह अब आदत बन चुकी है। ईशान किशन अब अपने किट बैग में भगवद गीता का पॉकेट एडिशन रखते हैं। जब भी उन्हें असमंजस या दबाव महसूस होता है, वह कुछ पंक्तियां पढ़ते हैं। उनके पिता का मानना है कि इससे उन्हें शांति, आत्मविश्वास और फोकस मिलता है, जिसका असर मैदान पर साफ दिखता है।

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में ऐतिहासिक प्रदर्शन

मानसिक बदलाव का नतीजा सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में देखने को मिला। किशन ने झारखंड को उसका पहला खिताब जिताया और खुद टूर्नामेंट के सबसे सफल बल्लेबाज बने। उन्होंने 10 पारियों में 57.44 की औसत और 197 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से 517 रन बनाए। इस दौरान उनका आत्मविश्वास और आक्रामक अंदाज पूरी तरह नजर आया।

रिकॉर्ड शतकों के साथ वापसी का ऐलान

फाइनल में ईशान किशन ने 49 गेंदों में 101 रनों की शानदार पारी खेली, जो टूर्नामेंट में उनका पांचवां शतक था। इसके साथ ही उन्होंने अभिषेक शर्मा के सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में सबसे ज्यादा शतकों के रिकॉर्ड की बराबरी की। यह प्रदर्शन उनकी वापसी का साफ संकेत था।

बैटिंग में दिखी परिपक्वता

प्रणव पांडे का मानना है कि गीता से मिले मानसिक संतुलन ने किशन की बैटिंग में परिपक्वता ला दी है। अब वह शॉट सिलेक्शन में जल्दबाजी नहीं करते, जिम्मेदारी के साथ खेलते हैं और परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझते हैं। उनकी मानसिक मजबूती ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरी है।

भविष्य को लेकर संतुलित सोच

झारखंड की ऐतिहासिक जीत के बाद ईशान किशन भविष्य की अनिश्चितताओं से ज्यादा वर्तमान पर ध्यान दे रहे हैं। भारत की आगामी T20 योजनाओं और वर्ल्ड कप चयन को लेकर सवाल जरूर हैं, लेकिन फिलहाल किशन जीत और खेल का आनंद लेना चाहते हैं। उनकी यह सोच उनके बदले हुए नजरिए को साफ तौर पर दर्शाती है।


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Content Writer

Sanjeev

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