धोनी नहीं होते तो मेरा करियर बेहतर होता, अमित मिश्रा ने ऐसा कहने वालों को दिया करारा जवाब
punjabkesari.in Tuesday, Dec 23, 2025 - 01:30 PM (IST)
स्पोर्ट्स डेस्क: भारतीय क्रिकेट में लंबे समय से एक चर्चा चलती रही है कि पूर्व कप्तान MS धोनी की वजह से अमित मिश्रा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा मौके नहीं मिल पाए। अब इस मुद्दे पर खुद अमित मिश्रा ने खुलकर बात की है और उन सभी अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया है।
धोनी पर लगे आरोपों को किया खारिज
पूर्व भारतीय लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने साफ कहा कि एमएस धोनी ने कभी भी उनके करियर को नुकसान नहीं पहुंचाया। उल्टा, धोनी का भरोसा, मार्गदर्शन और कप्तानी उनके करियर के अहम पलों की वजह बना। मिश्रा के मुताबिक, सोशल मीडिया और टीवी डिबेट्स में जो बातें कही जाती रहीं, उनमें सच्चाई नहीं थी।
‘धोनी के अंडर ही टीम इंडिया में आया’
मिश्रा ने बताया कि उनका अंतरराष्ट्रीय करियर धोनी की कप्तानी में ही आगे बढ़ा। उन्होंने कहा, 'लोग कहते हैं कि अगर धोनी नहीं होते तो मेरा करियर बेहतर होता। लेकिन कौन जानता है, शायद मैं टीम में होता ही नहीं।' मिश्रा ने माना कि धोनी ने न सिर्फ उन्हें टीम में मौका दिया, बल्कि कठिन दौर में वापसी के मौके भी दिए।
चयन की सख्त प्रतिस्पर्धा की सच्चाई
मिश्रा ने यह भी स्वीकार किया कि भारतीय क्रिकेट में जगह पक्की करना आसान नहीं होता, खासकर स्पिनर्स के लिए। टीम कॉम्बिनेशन, परिस्थितियां और फॉर्म के चलते चयन बदलता रहता है। उन्होंने कहा कि इतने साल तक टीम की रडार में बने रहना ही कप्तान और मैनेजमेंट के भरोसे का सबूत है।
न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच ने बदला सबकुछ
मिश्रा ने एक वनडे मैच का किस्सा भी साझा किया, जब वह न्यूजीलैंड के खिलाफ जरूरत से ज्यादा सोचने लगे थे। तभी धोनी उनके पास आए और सिर्फ इतना कहा—अपना नैचुरल गेम खेलो, ज्यादा मत सोचो। इस सलाह के बाद मिश्रा ने पांच विकेट झटके और उसे अपने वनडे करियर का सर्वश्रेष्ठ स्पेल बताया।
आंकड़े खुद बयां करते हैं कहानी
अमित मिश्रा के अंतरराष्ट्रीय आंकड़े उनके योगदान को साफ दिखाते हैं। 22 टेस्ट में 76 विकेट, 36 वनडे में 64 विकेट,सीमित टी20 मौके, लेकिन प्रभावी प्रदर्शन।ये आंकड़े बताते हैं कि यह कोई दबा हुआ करियर नहीं, बल्कि कड़ी प्रतिस्पर्धा में मौके पाने वाला सफर था। अमित मिश्रा के मुताबिक, धोनी की कप्तानी ने उनके करियर को रोका नहीं, बल्कि सही दिशा दी। भरोसा, सरल सोच और दबाव में सही फैसले यही धोनी की कप्तानी की पहचान रही, जिसने मिश्रा जैसे खिलाड़ियों को खुद पर विश्वास दिलाया।

