कोहली चाहे 200 भी शतक लगाएं कोई फर्क नहीं पड़ता, जब तक कि भारत एक खिताब के लिए भी तरसे
punjabkesari.in Monday, Dec 12, 2022 - 03:06 PM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क: भारत के दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली ने शनिवार को 3 साल बाद अपना वनडे शतक जड़ा और बांग्लादेश के खिलाफ टीम को एक शानदार जीत दिलाई। बांग्लादेश के खिलाफ शतक जड़ने के साथ कोहली सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय शतकों की सूची में ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज रिकी पोंटिंग को पछाड़ दिया है। कोहली के नाम अब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर में 72 शतक हो चुके हैं और वह अब केवल महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के पीछे खड़े हैं , जिनके नाम 100 शतक दर्ज हैं।
विराट के 72वें शतक के बाद इस बात पर चर्चा हो रही है कि क्या कोहली सचिन के 100 शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं, लेकिन इसी बीच पाकिस्तान के पूर्व कप्तान राशीद लतीफ का चौंकाने वाला बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि विराट चाहे 200 शतक भी पूरे करें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि भारत अभी भी एक आईसीसी खिताब जीतने के लिए तरस रहा है।
राशीद लतीफ से जब पूछा गया कि क्या कोहली महान खिलाड़ी सचिन का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं? उन्होंने कहा," लोग इस चीज का इंतजार नहीं कर रहे कि कोहली दिग्गज खिलाड़ी सचिन के रिकॉर्ड तोड़ें, बल्कि वे भारत के लिए एक और आईसीसी खिताब जीतने के लिए तरस रहे हैं। कोहली चाहे 100 शतक लगाएं या 200, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, भारतीय क्रिकेट और प्रशंसकों के लिए जो मायने रखता है वह एक खिताब है।
राशिद लतीफ ने आगे कहा,"अगर आप आर्थिक रूप से देखें तो आईपीएल और भारतीय क्रिकेट काफी आगे हैं, लेकिन अब प्रशंसकों और मीडिया का दबाव है कि वे एक खिताब चाहते हैं। कोहली चाहें तो 100 शतक लगा सकते हैं, लेकिन डिमांड बदल गई है। एशिया कप चला गया, चैंपियंस ट्रॉफी भी चली गई, 2019 विश्व कप, आखिरी दो टी20 विश्व कप। 100 शतकों का अपना स्थान है, लेकिन भारत और भारतीय क्रिकेट बोर्ड को खिताब जीतने की जरूरत है।"
गौरतलब है कि भारत 2013 के बाद कोई भी आईसीसी खिताब नहीं जीता है। भारत ने साल 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की थी, जब भारतीय टीम की कमान महेंद्र सिंह धोनी संभाल रहे थे। धोनी ने भारत को 2011 वनडे विश्व कप और 2007 में टी20 विश्व कप भी जिताया है, लेकिन इसके बाद भारत कोई भी आईसीसी टूर्नामेंट नहीं जीता है। भारत को हाल ही में टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल मुकाबले में निराशा का सामना करना पड़ा था।