नीरज चोपड़ा ने बताया- आखिर मिल्खा सिंह को ही क्यों समर्पित किया स्वर्ण पदक

punjabkesari.in Tuesday, Aug 10, 2021 - 06:05 PM (IST)

नई दिल्ली : टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाले भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने कहा कि वह खेल में अपना अभ्यास जारी रखेंगे और अपने ऊपर सुपर स्टार वाली सोच (सफलता का खुमार) कभी हावी नहीं होने देंगे। चोपड़ा ने चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि एक खिलाड़ी के लिए ऐसी मानसिकता होना खतरनाक है और उनका पूरा ध्यान खेल पर ही रहेगा। 

चोपड़ा से जब पूछा गया कि इस वक्त आपके प्रशंसकों की संख्या (फैन फॉलोइंग) किसी फिल्मी सितारे से कम नहीं है, खासकर लड़कियों में, तो उन्होंने कहा कि देखिए ये अच्छी बात है। लेकिन मैं सबसे ज्यादा ध्यान खेल पर रखना चाहता हूं, मैं अपना पूरा ध्यान खेल पर रखना चाहता हूं। मैं इस बारे में तो यही बोलना चाहूंगा कि ये अच्छी बात है कि उनकी तरफ से इतना प्यार मिल रहा है लेकिन अब मेरा पूरा ध्यान अगले साल होने वाले एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप के अलावा आने वाले टूर्नामेंट और (अगले) ओलंपिक पर है। 

चोपड़ा ने सोमवार को टोक्यो में भाला फेंक के फाइनल में 87.58 मीटर भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीता था। यह भारत का ओलंपिक में एथलेटिक्स में पहला पदक है। वह ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने। उन्होंने पेरिस ओलंपिक के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि वह उसी समय देखेंगे, उसके बारे में उसी समय पता चलेगा लेकिन मैं अपनी तरफ से उसके लिए पूरी मेहनत करूंगा, और इस चीज से थोड़ी कोशिश करूंगा। जैसा आपने कहा कि सुपरस्टार वाली सोच वो थोड़ा न ही आए तो अच्छा रहेगा।

उन्होंने खेलों में ऐसी सोच को खतरनाक करार देते हुए कहा कि बस अपनी ट्रेनिंग अच्छे से करुंगा और उसी पर ज्यादा ध्यान रखूंगा क्योंकि मुझे लगता है वही चीज बहुत जरूरी है। खेलों में ऐसी सोच आना थोड़ा खतरनाक हो जाता है। मैं खेल पर अपना सबसे ज्यादा ध्यान रखूंगा। अपने स्वर्ण पदक को मिल्खा सिंह के नाम किए जाने के बारे में पूछे जाने पर इस 23 साल के खिलाड़ी ने कहा कि मैंने उनका वह साक्षात्कार देखा था जिसमें वह कह रहे थे कि उनका एक सपना है कि कोई अपने देश का नौजवान या कोई भी लड़की वहां जाए और (एथलेटिक्स में) पदक लेकर आए और जब ऐसा हुआ तो खासकर राष्ट्रगान पर उन्हें बहुत ज्यादा खुशी होती कि उनका सपना पूरा हो गया।

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उन्होंने कहा कि जब भी चंडीगढ़ या पटियाला की तरफ जाता था तो मैं मिल्खा सिंह जी से मिलने के बारे में सोचता था। ओलंपिक के थोड़े दिन ही बचे थे तो मैं इतनी मेहनत करना चाहता था कि पदक जीत सकूं। स्वर्ण पदक तो एक को ही मिलता है और पूरे विश्व के एथलीट इसके लिए मेहनत करते हैं। उस समय मुझे यह नहीं पता था कि स्वर्ण पदक मुझे ही मिलेगा लेकिन हां मैं उसके लिए मेहनत कर रहा था। अब जब स्वर्ण मिला है तो लगा कि हमारे देश के एथलीट जिनका बहुत अच्छा परफॉर्मेंस रहा है उसमें मिल्खा सिंह जी हैं, पीटी ऊषा मैम हैं, ये बहुत कम समय से पदक से चूक गए थे। मिल्खा जी अब हमारे बीच नहीं हैं पर वो जहां भी हैं इस चीज को देखकर खुश होंगे। 


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Content Writer

Raj chaurasiya

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